प्राणी के जीवन में आठ तरह के मित्र आते हैं, उनकी मित्रता से जीवन का समापन होता हैं !
जन्म के मित्र - माँ-बाप,
देह के मित्र - अन्न पान,
रोग के मित्र - औषधि,
आत्मा का मित्र - सत्य सद्गुण,
धर्म का मित्र - दया करुणा,
संग्राम का मित्र - भुजा का बल,
विदेश का मित्र - विद्या विनय,
अंत समय का मित्र - प्रसंशा, आलोचना,
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दूसरों की विशेषता देखते जाओगे तो, एक दिन विशेष आत्मा बन जाओगे !
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पारिवारिक कलह पांच स्तरों में होती हैं, मन, वाणी, हाथ, सड़क और न्यायालय तक चली जाती हैं !
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क्रोध बुद्धि का, घमण्ड ज्ञान का, लालच ईमान का और चिंता आयु का नाश कर देती हैं !
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