राधा राधा,
श्री जी के स्वरूप विश्व के करुणामयि और पूजनीय संत श्री
प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज, वर्तमान समय के एक लोकप्रिय संत, प्रेरक वक्ता और आध्यात्मिक गुरु हैं।
महाराज जी मुख्य रूप से सबको भक्ति, प्रेम, सेवा और सरल जीवन का संदेश देते हैं। प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन देशभर में लाखों लोगों द्वारा सुने जाते हैं और इनकी शिक्षाएँ समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का काम कर रही हैं।
आज हम महाराज जी के जीवन परिचय और हमें मिली जानकारी आप तक रख रहे हैं, जो पूर्ण रूप या शत प्रतिशत भी हो सकती हैं ।
श्री प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज का जन्म 30 मार्च 1969 को कानपुर जिले के सरसौल ब्लॉक में अखरी गांव के ब्राह्मण परिवार में हुआ है।
महाराज जी का बचपन नाम अनिरुद्ध कुमार पाण्डेय हैं।
महाराज जी ने 13 साल की उम्र में घर छोड़ दिया और बाद में श्री गौरंगी शरण जी महाराज से दीक्षा ले ली।
वे वैष्णव परंपरा से जुड़े संत हैं और वर्तमान में श्री हित राधा केली कुंज ट्रस्ट के संस्थापक हैं।
महाराज जी के पास कोई निजी संपति नहीं हैं यहां तक कि उनके पास कोई बैंक अकाउंट भी नहीं हैं।
पिछले 18, 20 सालों से महाराज जी की दोनों किडनी खराब हो चुकी हैं। उन्हे ADPKD नामक बीमारी हैं, जिसके कारण किडनियां काम करना बंद कर चुकी हैं और उन्हें नियमित डायलिसिस पर निर्भर रहना पड़ता हैं।
महाराज जी को बचपन से ही भगवान भजन में गहरी रुचि थी और महाराज जी ने सांसारिक जीवन से अधिक आध्यात्मिक जीवन को प्राथमिकता दी हैं।
महाराज जी ने काफी संतों की सेवा की, सभी शास्त्रों का अध्ययन किया और धीरे-धीरे लोगों को नाम जप, प्रेम, करुणा और आत्मज्ञान की राह दिखाने लगे हैं।
महाराज जी का उद्देश्य धर्म को केवल अनुष्ठानों तक सीमित न रखकर जीवन में प्रेम, समर्पण और सेवा का विस्तार करना है। नाम जप द्वारा मोक्ष मार्ग को प्राप्त करने के प्रयत्न करना चाहिए।
महाराज जी के उपदेशों के मुख्य बिंदु
नाम जप ही भगवान तक पहुँचने का मार्ग है।
किसी की भी सेवा बिना अहंकार के करनी चाहिए।
प्राणी को हर परिस्थिति में धैर्य और विश्वास रखना चाहिए।
भक्ति केवल मंदिर या पूजा तक सीमित नहीं होनी चाहिए बल्कि जीवन के हर कार्य में प्रकट होनी चाहिए।
जीव को अपने मन को शांत कर ईश्वर की शरण में जाने से दुःख दूर होते हैं।
महाराज जी के प्रवचनों की विशेषताएँ
सरल और हिंदी भाषा में गहरे आध्यात्मिक शब्दों और अर्थ को समझाते हैं।
लोगों की जीवन में आने वाली मानसिक और शारीरिक समस्याओं का समाधान दे देते हैं।
मनुष्य को परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए सकारात्मक सोच विकसित करवा देते हैं।
युवाओं को ब्रह्मचर्य पालन, संयम, ध्यान और सेवा की ओर प्रेरित करते हैं।
ऑनलाइन प्रवचन, पुस्तकों और वीडियो के माध्यम से लाखों लोग उनसे जुड़ चुके हैं, जो महाराज जी के ज्ञान का लाभ उठा रहे हैं।
प्रेमानंद महाराज जी से जुड़ा एक प्रेरक प्रसंग
एक सुंदर प्रसंग महाराज जी की करुणा, सेवा और निस्वार्थ भाव को दर्शाता है। यह प्रसंग अनेक श्रद्धालु सुनाते हैं,
एक बार श्री प्रेमानंद महाराज जी एक सत्संग के बाद उस गाँव के कुछ लोगों से मिलने पहुँचे थे । वहाँ एक वृद्ध महिला महाराज जी के पास आई। महिला ने साधारण कपड़े पहने थे, चेहरा भी बहुत थका हुआ, आँखों में चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही थी। उसने कहा
“महाराज जी, मेरे घर में बहुत संकट है। धन नहीं, स्वास्थ्य खराब रहता हैं। मन अशांत होता है। आप बताओ मैं क्या करूँ?”
महाराज जी ने उसका चेहरा देखा, पर कोई बड़ा उपदेश नहीं दिया। वे मुस्कुराए और उस महिला से बोले
“माँ, सबसे पहले अपने मन को प्रेम से भरिए। सेवा करें, किसी को मदद दीजिए। जब आप दूसरों के लिए दीपक जलाएँगी, तभी आपके जीवन में भी प्रकाश आएगा। संकट आता है, पर सेवा से मन मजबूत होता है।”
उन्होंने उसे बैठाकर भोजन कराया, साथ बैठकर बातें कीं और रोज़ थोड़ा समय अपने परिवार के साथ बैठकर प्रार्थना करने का सुझाव दिया।
कुछ महीनों बाद ही, वही महिला गाँव में सेवा कार्यों में सबसे अग्रणी बन गई। वह बीमारों की देखभाल करने लगी, बच्चों को पढ़ाने लगी और घर-घर जाकर आशा का संदेश देने लगी। धीरे-धीरे उसका परिवार संकट से उबर गया। लोगों ने कहा –
“महाराज जी ने हमें कोई बड़ा चमत्कार नहीं दिखाया, बस प्रेम और सेवा का रास्ता बताया – वही सबसे बड़ा चमत्कार है!”
इस प्रसंग से मिलने वाली सीख इस प्रकार हैं
सेवा का मार्ग सबसे शक्तिशाली आध्यात्मिक उपाय है।
संकट में धैर्य और प्रेम ही मन को संभालते हैं।
बाहरी सहायता से पहले भीतर प्रेम और विश्वास का दीप जलाना ज़रूरी है।
जो स्वयं दुख में हो, वह भी सेवा करके दूसरों का सहारा बन सकता है।
महाराज जी ने अभी जीवन प्रयन्त वृंदावन वास ले लिया है इसलिए, अभी वो वृंदावन छोड़कर बाहर नहीं जा सकतें हैं।
प्रेमानंद महाराज जी से मिलने के लिए आपको वृंदावन स्थित उनके आश्रम श्री राधाकेली कुंज जाना होगा, जो परिक्रमा रोड पर स्थित है और भक्तिवेदांत हॉस्पिटल के सामने है।
और दूसरा आश्रम श्री हित राधा कृपा धाम, यह भी वृंदावन में है।
महाराज जी के दर्शन की प्रक्रिया निम्नलिखित है:
दर्शन के लिए टोकन कैसे प्राप्त कर सकते हैं?
समय: प्रत्येक दिन सुबह 9:30 बजे से पहले आश्रम में पहुंचें।
स्थान: राधाकेली कुंज आश्रम के कार्यालय में जाएं।
आवश्यक दस्तावेज़ में अपने साथ आधार कार्ड अवश्य लाएं, क्योंकि टोकन प्राप्त करने के लिए यह अनिवार्य है।
टोकन की प्रक्रिया, आधार कार्ड दिखाने के बाद आपको अगले दिन के दर्शन के लिए टोकन दिया जाएगा। ध्यान दें कि दर्शन के लिए दो दिन पहले टोकन प्राप्त करना आवश्यक है।
दर्शन और एकांत वार्ता के लिए,
"एकांत वार्ता " यदि आप व्यक्तिगत रूप से महाराज जी से संवाद करना चाहते हैं, तो सुबह 6:30 बजे आश्रम पहुंचें। इस दौरान आप आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं।
सामूहिक दर्शन, सामूहिक दर्शन के लिए सुबह 7:30 बजे आश्रम में उपस्थित रहें।
सत्संग और कीर्तन, सत्संग सुबह 4:15 बजे और कीर्तन 6:30 बजे आयोजित होते हैं।
आप आश्रम तक कैसे आ सकते हैं ?
पता: श्री राधाकेली कुंज आश्रम, परिक्रमा रोड, वृंदावन, उत्तर प्रदेश।
निकटतम स्थल: आश्रम इस्कॉन मंदिर के पास स्थित है।
रात्रि दर्शन: यदि आप टोकन प्राप्त नहीं कर पाते हैं और दर्शन करना जरूरी है तो, परिक्रमा मार्ग पर रात्रि में दर्शन कर सकते हैं, जो रात 2:30 बजे के बाद हो सकते हैं। लाखों लोग परिक्रमा मार्ग पर खड़े हो कर महाराज जी के दर्शन करते हैं।
" महत्वपूर्ण जानकारी "
प्रेमानंद महाराज जी से मिलने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है; यह सेवा निःशुल्क है।
सत्संग में भागीदारी, सत्संग में भाग लेने के लिए भी आपको टोकन की आवश्यकता होगी, जिसे सुबह 9:30 बजे के बाद प्राप्त किया जा सकता है।
सुरक्षा और अनुशासन, आश्रम में मोबाइल फोन और कैमरा का उपयोग प्रतिबंधित है, और नटखट बच्चों को साथ लाने की अनुमति नहीं है।
महाराज जी से दीक्षा लेने वाले भक्तों का मुख्य मंत्र
"कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:।।"
मंत्र का अर्थ
"हे वासुदेव, आप ही परमात्मा स्वरूप श्री कृष्ण हैं। मैं आप पर वंदन करता हूँ, सभी क्लेशों के नाश करने वाले गोविन्द, आपको बार-बार नमन है"।।
जाप कैसे करे ?
इस मंत्र का प्रतिदिन कम से कम 10 मिनट जाप करने की सलाह देते हैं।
इसके साथ ही "कृष्ण, कृष्ण गोविंद, राधा राधा" मंत्र का भी जप करने की सलाह देते हैं।
बोलो राधा राधा,
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