संदेश

विशिष्ट पोस्ट

संत रामानंद जी महाराज के शिष्य

चित्र
  दोस्तों आज के सबसे प्रसिद्ध गुरु जी जिनके लगभग सभी शिष्य आगे चलकर महान हुए, ऐसे सबसे ज्यादा शिष्यों वाले, संत रामानंद जी के कुछ शिष्यों की जानकारी देने वाले हैं। जिनमें आठ प्रमुख शिष्य थे  संत रामानंद, भक्ति आंदोलन के एक प्रमुख संत और संत कवि थे।  उन्होंने निर्गुण और सगुण भक्ति का प्रचार किया और सभी जाति-वर्ग के लोगों को अपने शिष्य के रूप में स्वीकार किया।  रामानंद के प्रमुख शिष्यों में कई महान संत शामिल थे जिन्होंने भक्ति मार्ग को आगे बढ़ाया।  उनके शिष्यों में शामिल प्रमुख संतों के नाम इस प्रकार हैं: 1. कबीरदास: कबीर दास  रामानंद के सबसे प्रसिद्ध शिष्य माने जाते हैं।  वे निर्गुण भक्ति के महान संत और कवि थे जिन्होंने समाज में व्याप्त अंधविश्वास, पाखंड, और सांप्रदायिक भेदभाव का विरोध किया था, इनके बारे में पूरी जानकारी के लिए हमारी अन्य पोस्ट में देखें। 2. रैदास (रविदास): संत  रविदास का जन्म एक चर्मकार परिवार में हुआ था।  वे भी रामानंद के शिष्य थे और भक्ति मार्ग के महान संतों में से एक माने जाते हैं।  उनकी रचनाओं में भक्ति, मानवता और प...

श्री विश्वकर्मा जी जयंती निमंत्रण 2025

चित्र
आदि शिल्पाचार्य श्री विश्वकर्मा भगवान मन्दिर का नवम् वार्षिकोत्सव एवं श्री विश्वकर्मा जयंती महोत्सव हर्षोल्लास से निमंत्रण देते हैं भाव से पधारिये कार्यक्रम का आयोजन बड़े धूमधाम से........... विश्वकर्मा प्रभु वन्देऊ, चरण कमल धरि ध्यान।  श्री प्रभु, बल अरू शिल्प गुण दिजे दयानिधान।  करूह कृपा शंकर सरिस, विश्वकर्मा शिव रूप। श्री सुभदा रचना सहित, हृदय बसहु सुर भूप। परमस्नेही बंधुवर, जय श्री विश्वकर्मा जी री। आपको आमन्त्रित करते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि समस्त सुथार (जांगिड़) समाज के परमआराध्य देव आदि शिल्पाचार्य, विज्ञान सम्राट, सृष्टी रचयिता भगवान श्री विश्वकर्मा जी की असीम अनुकम्पा एवं आप सभी समाज के अथक, परिश्रम, प्रयास, समर्पण एवं आर्थिक सहयोग से गुड़ामालाणी जिला-बाड़मेर की पावन धरा पर प्रतिष्ठित श्री विश्वकर्मा भगवान मन्दिर के नवम् वार्षिकोत्सव एवं श्री विश्वकर्मा जी जयंती महोत्सव का भव्य आयोजन वि. स. 2081 मिति माघ शुक्ल पक्ष 13 (त्रयोदशी) सोमवार दिनांक 10.02.2025 को किया जा रहा हैं अतः आप सभी आत्मियजनों से प्रार्थना हैं कि इस पावन अवसर पर सपरिवार, माताओं, बहनो...

महाकुम्भ मेला हेल्प लाइन और शाही स्नान , mahakumbh mela helpline number prayagraj

चित्र
दोस्तों, प्रयागराज में महाकुंभ मेला 13 जनवरी 2025 से शुरू हो गया है और यह 26 फरवरी 2025 तक चलेगा।  महाकुंभ के दौरान प्रमुख स्नान पर्व निम्नलिखित हैं:  पौष पूर्णिमा: 13 जनवरी 2025 (सोमवार)  मकर संक्रांति: 14 जनवरी 2025 (मंगलवार)  मौनी अमावस्या (सोमवती): 29 जनवरी 2025 (बुधवार)  बसंत पंचमी: 3 फरवरी 2025 (सोमवार) माघी पूर्णिमा: 12 फरवरी 2025 (बुधवार)  महाशिवरात्रि: 26 फरवरी 2025 (बुधवार) महाकुंभ के पहले दिन, 13 जनवरी 2025 को, पौष पूर्णिमा के अवसर पर पहला शाही स्नान आयोजित हुआ।  महाकुंभ के दौरान, संगम में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति और पापों से मुक्ति की मान्यता है। इस आयोजन में करोड़ों श्रद्धालुओं के भाग लेने की उम्मीद है, और प्रशासन ने उनकी सुविधा और सुरक्षा के लिए व्यापक तैयारियां की हैं। प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के दौरान प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए व्यापक व्यवस्थाएँ की हैं। प्रमुख व्यवस्थाओं में निम्नलिखित शामिल हैं: सुरक्षा व्यवस्था लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पुलिस, रैपिड एक्शन फोर्स (RAF), एनडीआरएफ और ...

मंगल ग्रह और दोष

चित्र
दोस्तों, मंगल देव हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवता, जिन्हें भौम भी कहा जाता हैं और नवग्रहों में से एक हैं। उन्हें शक्ति, ऊर्जा, साहस, पराक्रम और भूमि का देवता माना जाता है। मंगल देव को ज्योतिष में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है, और वे जीवन में साहस, आत्मविश्वास और संघर्ष की क्षमता प्रदान करते हैं। मंगल देव की उत्पत्ति का वर्णन विभिन्न पुराणों में मिलता है। प्रमुख कथा के अनुसार, मंगल देव का जन्म भगवान शिव के पसीने से हुआ। जब शिव जी तपस्या कर रहे थे, तो उनकी कुछ बूँदें पृथ्वी पर गिरीं, और उनसे मंगल देव का जन्म हुआ। इसलिए उन्हें "भूमिपुत्र" कहा जाता है। मंगल देव को शिव और पार्वती का पुत्र भी माना जाता है। मंगल देव का वर्ण (रंग) लाल है। वे लाल वस्त्र पहनते हैं और उनके वाहन भेड़िया या भेड़ है। उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें त्रिशूल, गदा, कमल और वर मुद्रा होती है। मंगल ग्रह साहस, ऊर्जा, भूमि, संपत्ति, और भाइयों का कारक है। मंगल मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है तथा मकर राशि में उच्च और कर्क राशि में नीच होता है। शुभ मंगल व्यक्ति को साहसी, परिश्रमी और संपन्न बनाता है। अशुभ मंग...

बुध ग्रह और फल

चित्र
दोस्तों, बुध देव हिंदू धर्म में प्रमुख नवग्रहों में से एक माना गया हैं। बुध को बुद्धिमत्ता, वाणी, तर्कशक्ति, व्यापार, गणित और ज्योतिष का देवता माना जाता है। वे भगवान श्री विष्णु जी के भक्त और चंद्रमा (चंद्र देव) और तारा ( देव गुरु बृहस्पति की पत्नी) के पुत्र हैं। बुध ग्रह का ज्योतिषीय महत्व भी अत्यधिक है और इसे विद्या, संवाद, और सौम्यता का कारक माना जाता है। बुध का जन्म चंद्र देव और बृहस्पति की पत्नी तारा के संयोग से हुआ। इसके कारण उन्हें चंद्रमा का पुत्र कहा जाता है। उनकी उत्पत्ति को लेकर पुराणों में कई कथाएं मिलती हैं। बुध देव का वर्ण (रंग) हरा बताया गया है। वे हरे रंग के वस्त्र धारण करते हैं और उनके वाहन सिंह या रथ है, जिसे आठ घोड़े खींचते हैं। उनके हाथों में तलवार, गदा, और ढाल होती है और वे वर मुद्रा में होते हैं। बुध कुंडली में बुद्धिमत्ता, संवाद, तर्कशक्ति, और व्यापार का प्रतीक है। बुध मीन राशि में नीच और कन्या राशि में उच्च होता है। बुध की स्थिति यदि शुभ हो तो व्यक्ति बुद्धिमान, वाक्पटु और व्यापार में कुशल होता है। अगर यह अशुभ हो तो वाणी में दोष, शिक्षा में बाधा, और ...