मेरे विचारों की पद्य लाइने
साधारण बालक तुल्य मैं भी, एक लड़का हूँ !
समाज की कुरीतिया मिटाने को , आज भड़का हूँ!!
मैं पक्षपाती नही जो, पक्षपात के लिए कुछ करता हैं !
न छोटा बच्चा हूँ, जो मिटटी से खेला करता हैं!!
न कोई संपादक हूँ , जो अख़बार लिखता हूँ !
और न ही कोई पंच हूँ, जो पैसों के बदले बिकता हैं!!
न प्रसिद लेखक हूँ और न ही सरकारी नोकर हूँ !
चोर डाकू भी नही हूँ, न ही सर्कल का जोकर हूँ !!
न मुर्ख नादान हूँ, न ही बड़ी अक्ल की दाद !
बड़े लोगों सुन लीजो, छोट बालक की फरियाद !!
पापी को छोड़ कर धर्मी के साथ जाता हूँ !
मेरे दिल के सपने आपको बताता हूँ !!
यह बच्चों का खेल नही, धर्म व पाप की लड़ाई हैं !
आगे जो लिखा वो मेरी न, सिर्फ ज्ञान की बड़ाई हैं!!
अब बालक देवा हरी के शरणों में लिखता हैं!
माफ़ करना भाइयों जो आपको गलत दिखता हैं !!
-देवा जांगिड़
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अच्छा हैं