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मंगलवार, सितंबर 02, 2025

सांवलिया सेठ, sanwliyaji seth tample mandphiya


सांवलिया सेठ भी भगवान श्रीकृष्ण जी का एक प्रसिद्ध रूप है, जिनका मुख्य मंदिर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के माण्डफिया गाँव के पास में है। भक्त उन्हें "सांवलिया सेठ" कहते हैं क्योंकि उनका स्वरूप श्याम वर्ण (सांवला) है और उन्हें व्यापारी सेठ की तरह दान-दक्षिणा देने वाला माना जाता है, सेठ जी का प्रमुख मंदिर राजस्थान के चित्तौड़गढ़-उदयपुर हाईवे पर माण्डफिया, भदेसर और सांवलिया गाँव के बीच स्थित है।
माना जाता हैं कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद अवश्य पूरी होती है।
व्यापारी वर्ग विशेष रूप से सांवलिया सेठ को अपना आराध्य देव मानता है और अपने बिजनेस में सफलता के लिए विशेष पूजा करता है।
इस मंदिर में चढ़ावे में सिर्फ पैसे ही नहीं, बल्कि चांदी-सोना तक अर्पित किया जाता है कहते हैं कि सांवलिया सेठ की प्रतिमा जमीन से प्रकट हुई थी।
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सांवलिया सेठ जी के मंदिर और मूर्ति की कथा इस प्रकार हैं कि 
बहुत समय पहले मेवाड़ में चित्तौड़गढ़ के पास तीन गाँव हैं भदेसर, माण्डफिया और सांवलिया, वहां पर एक किसान खेत में हल जोत रहा था, तभी उसकी हल की नोक ज़मीन में किसी वस्तु से टकराई, जब उसने उस जगह पर ज़मीन खोदी तो वहाँ से भगवान श्रीकृष्ण जी की तीन अति सुंदर मूर्तियाँ मिली, जिसमे से,
एक मूर्ति भदेसर में स्थापित की गई।
दूसरी मूर्ति माण्डफिया में स्थापित की गई।
और तीसरी मूर्ति सांवलिया गाँव में स्थापित की गई।
तब इन्हीं तीनों में से एक मूर्ति "सांवलिया सेठ" के नाम से प्रसिद्ध हुई।
सांवलिया जी के भक्तों का विश्वास है कि जो भी भक्त यहाँ सच्चे मन से आकर अपनी मनोकामना मांगता है, उसकी झोली धन-धान्य और समृद्धि से भर जाती है।
विशेष रूप से व्यापारी वर्ग मानता है कि उनका बिजनेस सांवलिया सेठ की कृपा से ही बढ़ता है।
इसी कारण भक्त प्यार से उन्हें "सेठ" कहकर पुकारते हैं, मानो वे सबके "धनदाता व्यापारी" हों।
ये मंदिर चित्तौड़गढ़–उदयपुर हाईवे पर स्थित है।
यहां हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ आते हैं।
यहां हर बार नवरात्र, जन्माष्टमी और अमावस्या के मेलों में भारी भीड़ आती रहती है।
भक्तगण यहाँ अपनी कमाई का कुछ हिस्सा दान स्वरूप अर्पित करते हैं, मानो जैसे सेठ जी "खाता-बही" में एंट्री कर रहे हों।
मान्यता है कि अगर कोई बिजनेस मेन अपना नया व्यापार शुरू करता है और सबसे पहले सांवलिया सेठ जी को "निवेदन" करता है तो उसका व्यापार सफल होता है।
लोग इन्हें अपना "व्यापारिक भगवान" मानते हैं।
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सांवलिया सेठ जी के दर्शन करने का तरीका भी भक्तजन विशेष विधि से करते हैं।
आज हम सांवलिया सेठ जी दर्शन विधि बता रहे हैं 
मंदिर में जाने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए।
सांवलिया जी की प्रसाद मिठाई, फल या मेवा ले सकते हैं। कई भक्त खाता-बही भी साथ ले जाते हैं।
जब आप मंदिर में प्रवेश करते है तो “जय सांवलिया सेठ जी” का जयकारा जरूर लगाएँ।
गर्भगृह में आने पर सांवलिया जी के सामने दोनों हाथ जोड़कर अपनी मनोकामना करें।
पवित्र श्रद्धा से प्रसाद अर्पित करें।
खाता बही वाले भक्त पहले पन्ने पर "श्री सांवलिया सेठ जी" लिखकर व्यापार की शुरुआत करते हैं।
विश्वास है कि इससे व्यापार में उन्नति और लाभ होता है।
फिर अपनी क्षमता अनुसार दान करें नकद, अन्न, चांदी, सोना या कोई वस्तु।
यहाँ दान को "निवेदन" माना जाता है, मानो सेठ जी से हिसाब मिलाया जा रहा हो।
मंदिर में दिनभर आरती होती रहती हैं और आरती के समय दर्शन का महत्व बढ़ जाता है।
जब मनोकामना पूरी होती है तो भक्त पुनः सेठ जी के दरबार में आकर प्रसाद और दान चढ़ाते हैं।
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 सांवलिया सेठ जी मंदिर के दर्शन और आरती का समय कुछ इस प्रकार हैं,
सुबह (प्रातःकालीन दर्शन)
मंगल आरती – सुबह 5:30 बजे
मंगला दर्शन – आरती के बाद
श्रृंगार दर्शन – सुबह 7:00 बजे
राजभोग आरती व दर्शन – सुबह 11:00 बजे
राजभोग दर्शन बंद – 12:00 से 3:30 बजे तक इस समय सेठ जी विश्राम करते हैं।
उठापन दर्शन – शाम 3:30 बजे
भोग आरती व दर्शन – शाम 5:00 बजे
संध्या आरती व दर्शन – 6:30–7:00 बजे
शयन आरती व दर्शन – रात 9:00 बजे
उसके बाद मंदिर के पट बंद हो जाते हैं।

 विशेष अवसरों पर (जैसे जन्माष्टमी, नवरात्र, अमावस्या) दर्शन का समय लंबा होता है और पूरी रात भी खुले रहते हैं।

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