आजकल दान करने की होड़ लगी हैं दुनिया मे,
कोई गुप्त दान कर रहा हैं, गौदान, धर्मशाला, मंदिर मस्जिद गुरुद्वरा, आदि जगह.!
कोई बडे अक्षरो में अपना नाम लिखवाता हैं, कोई जमीन दान करके अपना नाम से स्कूल बनवाता हैं, सब अपना अपना स्वार्थ बनाने मे लगे हैं.
दान का महत्व क्या हैं ?
आज हम बताते हैं,...
कोई असहाय मानव पक्षी या जानवर भूखा हैं तो उसे खाने को कुछ दो, कोई मानव जरुरत मंद वस्तु नही खरिद सकता हैं तो उसकी मदद करो, कोई गरीब बीमारी का इलाज नही करा सकता तो उसे सहायता दो. कोई बुजर्ग घर से निकाल दिया गया हैं तो उसका ख्याल करो.
जेब मेसे दस बीस रुपये निकाल कर किसी भिखारी को देने से या लाखों करोडो का चेक कोई संस्था मे भेंट करना ही दान नही हैं.!
मेरे कहने का सीधा अर्थ हैं कि, अपने खुद के हाथ की गयी सेवा सर्वोतम दान हैं और ऐसा करते समय आने वाले आनंद की कोई सीमा नही होती मेरे भाइयों…
नोट तो कल नकली हो जायेंगे पर आपकी की हुई सेवा का दान सदा रहेगा…!
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अच्छा हैं