गुरुवार, दिसंबर 08, 2016

सत भक्त कौन हैं ?

दुनिया मे नाना प्रकार के भक्त होते है..!
कोई रंगीन कपड़ो मे, कोई नंगे बदन मे, कोई गुफा मे तो कोई पर्वत पर, कोई उपवास मे तो कोई मासाहार से, कोई मंदिर तो कोई श्मशान मे आदि..!
लेकिन वो पूर्ण भक्त नही हैं,
भगवान हर पल हमारे साथ है ये मान के चले तो हम जहाँ है जैसी स्तिथि मे हैं वहीं से भक्ति कर सकते हैं.!
यदि भगवान स्वर्ग मे हैं तो,
हम धरती पर क्यों खोज रहे हैं. और वहाँ जाने के लिये तो कफन पहनना होता हैं, हम रंगीले वेशभुषा मे केसे मिल सकते. नंगे बदन भक्ति करने से कोनसा त्याग हुआ जब हम स्वादिष्ट आहार लेते हैं. लोगो के घरों मे जाते हैं उनसे सेवा करवाते है.फूलों का आसन लगाते है तकिया दरी.
बताओ त्याग क्या किया ?
कान मे छेद करके कुंडल पहनना, लंबे बाल, हाथ मे अजीब वस्तुए, ललाट पर रंग करना, मुँछ काटना दाढी बढाना. आदि
ये भक्त के लक्षण नही हैं.
भक्त की परिभाषा सिर्फ ये हैं कि,
‘भगवान मेरे हैं और मैं जैसा हुँ, भगवान का हुँ, भगवान जैसा रखना चाहे, वो ही मेरा जीवन हैं. भक्ति हैं. किसी का बुरा ना हो जाये मेरी वजह से’
इसके अलावा बाकी सब नाटक और दिखावा ही हैं.!

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संत रामानंद जी महाराज के शिष्य

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