विश्व में सनातन धर्म एक प्राचीन और शाश्वत धर्म है, जिसे आमतौर पर हिंदू धर्म के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन सनातन धर्म में अन्य कई धर्म, समाज और समुदाय भी आते हैं।
"सनातन" का अर्थ है "शाश्वत" या "अनादि," और "धर्म" का अर्थ है "कर्तव्य," "न्याय," या "आचार-विचार।" इसका मूल वेदों, उपनिषदों, पुराणों और अन्य शास्त्रों में निहित है। सनातन धर्म अति विशाल और गहन विचारों की खान है।
पुराने समय का विज्ञान या इस समय के विज्ञान से कई गुना अधिक जानकारी संयोजित किए हुए हैं।
सनातन धर्म की मुख्य विशेषताएँ हम बता रहे हैं लेकिन, सारी विशेषताएं आज तक कोई समझ नही पाया है।
वेद और शास्त्रों का आधार – वेद, उपनिषद, भगवद गीता, महाभारत, रामायण और पुराण इसकी धार्मिक और दार्शनिक आधारशिला हैं। इनमें गूढ़ विषयों पर जो लिखा गया हैं उसके लिए कई साधु संतों ने अनुवाद करने की कोशिश भी की हैं।
ईश्वर की व्यापकता – इसमें अद्वैत (एकेश्वरवाद) और द्वैत (अनेक देवी-देवताओं की उपासना) दोनों का समावेश है।
हर एक धर्म समाज और समुदाय ने अपने इष्ट को अपनी कल्पना से पूजित किया है।
कर्म और पुनर्जन्म – यह सिद्धांत सिखाता है कि व्यक्ति के कर्मों का प्रभाव उसके भविष्य और पुनर्जन्म पर पड़ता है।
सनातन धर्म में एक जीव को चौरासी लाख बार जन्म लेने की बात कही गई हैं, कर्म को महत्वपूर्ण भूमिका में रखा गया हैं।
मुक्ति (मोक्ष) – जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति पाने को मोक्ष कहा जाता है, जो योग, भक्ति, ज्ञान और कर्म के मार्ग से प्राप्त किया जा सकता है। मोक्ष को सनातन धर्म का मुख्य उद्देश्य बताया गया हैं, जीव को जन्मों के चक्कर से निकलकर अपने इष्ट से मिल जाने को मोक्ष कहा गया हैं।
समावेशी दृष्टिकोण – इसमें सभी मतों और विचारधाराओं के लिए स्थान है, जिससे यह विविधता और सहिष्णुता को प्रोत्साहित करता है। विश्व और सारे ब्रह्माण्ड को एक ही पिता की संतान माना जाता हैं, सनातन धर्म में कोई पराया नहीं होता हैं।
सनातन धर्म केवल एक धर्म नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है, जो व्यक्ति को आत्म-साक्षात्कार और आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करता है। सनातन धर्म के शास्त्रों में लिखे गए श्लोकों में से किसी एक श्लोक से भी पूरे जीवन सार समझा जा सकता हैं।
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