सोमवार, मार्च 24, 2025

जीवन की हकीकत (कविता)


जीवन की हकीकत (कविता)

मुसीबते तो यूँ आती रहती है, जीता वही जो डट के खड़ा है। आँधियों से पाला पड़ा कई बार, वो हर बार ये जंग लड़ा है।।

सच कहने वाले तो बहुत है मगर, हर एक सच कठघरे में खड़ा है।
साबित करने के लिए चाहिए दलीले बहुत, यहाँ झूठ सीना तान के खड़ा है।।

सफेदपोश समाजसेवी बन बैठे, जिनके दहलीज मे कालाधन गड़ा है।
बाते तो भलाई की करते है अक्सर, मगर जहन मे कूड़ा भरा पड़ा है।।

गरज पर मिश्री जैसे मीठे लोग, पीठ पीछे राई का पहाड़ खड़ा है।
कड़वा सच कहते है मुँह पर, हकीकत मे वो दिल का बड़ा है।।

अपने मुँह मिंया मिठु बनने से क्या, वो दामन जो लगे हीरों से जड़ा है।
 असलियत को छुपा लो कितना भी, मुखौटा हकीकत लिए पड़ा है।।

दिखावे की दुनिया में मची है होड़, नकली शान मे कौन किससे बड़ा है।
आधुनिकता की आड़ मे रिश्ते तार तार, पूरी तरह से भर गया पाप का घड़ा है।।

मत कर घमण्ड इतना ए हरीश, ये शरीर तो माटी का टुकडा है। एक दिन मिल जाना है इसी मे, तो फिर क्यो तेरी मेरी पे अड़ा है।।
Hameer shing prajapat 


_ हमीर सिंह प्रजापत 

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शुक्रवार, मार्च 14, 2025

वेद व्यास जी के माता पिता कौन थे।


वेद व्यास जी के जन्म की कथा आपने शायद ही सुनी होगी, आज हम आपको बता रहे हैं कि महर्षि वेद व्यास जी के माता पिता कौन थे और उनके जन्म के साथ क्या घटित हुआ था।
उनकी माता का नाम सत्यवती था,
 सत्यवती एक मछुआरे की पुत्री थीं इसलिए सत्यवती को "मत्स्यगंधा" के नाम से भी जानते हैं क्योंकि उनके शरीर से मछली की गंध जैसी महक आती थी। एक समय की बात है एक बार हस्तिनापुर के राजा शांतनु गंगा किनारे शिकार करने गए थे, जहाँ पर उन्होंने सत्यवती को देखा और उनसे विवाह करने की अपनी इच्छा जताई।
सत्यवती ने अपने पिताजी से मिलवा कर राजा का परिचय कराया,
सत्यवती के पिता ने राजा शांतनु से एक शर्त रखी कि सत्यवती की संतान ही हस्तिनापुर के राजा बनेगी। इस शर्त के कारण शांतनु बहुत दुखी हुए। 
राजा शांतनु वापस लौट आए लेकिन, जब गंगा पुत्र भीष्म को यह बात पता चली, तो उन्होंने अपनी राजगद्दी छोड़ने और आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करने की प्रतिज्ञा ली। 
गंगा पुत्र भीष्म के पिता राजा शांतनु ही थे।
भीष्म के इस महान बलिदान से सत्यवती के पिता सहमत हो गए और सत्यवती का विवाह हस्तिनापुर राजा शांतनु से हो गया।
अब सत्यवती और राजा शांतनु खुशी से हस्तिनापुर में रहने लगे।
कुछ साल बाद सत्यवती से राजा शांतनु के दो पुत्र हुए—चित्रांगद और विचित्रवीर्य। चित्रांगद युद्ध में मारा गया और विचित्रवीर्य संतानहीन रह गया।
 बाद में, सत्यवती ने महर्षि वेद व्यास जी के माध्यम से नियोग प्रथा द्वारा धृतराष्ट्र और पांडु को जन्म दिलवाया, जिससे आगे चलकर महाभारत का युद्ध हुआ।

तो इस प्रकार, सत्यवती महाभारत की एक महत्वपूर्ण पात्र बनी , अब बात करते हैं महर्षि वेद व्यास जी के जन्म गाथा को।

महर्षि वेदव्यास का जन्म महाभारत के महत्वपूर्ण घटनाक्रमों में से एक है। 
महर्षि वेद व्यास जी भी सत्यवती के पुत्र थे।
और पिता महर्षि पराशर के पुत्र थे। वेद व्यास जी का जन्म एक द्वीप पर हुआ था, इसलिए उन्हें "द्वैपायन" भी कहा जाता है।
वेदव्यास का जन्म कथा इस प्रकार है, 

सत्यवती एक मछुआरे की पुत्री थीं इसलिए युवावस्था में नाव चलाने का कार्य करती थीं। 
एक दिन, जब सत्यवती नाव चला रही थीं, तभी महर्षि पराशर वहाँ आए। 
वे सत्यवती के दिव्य रूप से प्रभावित हुए और सत्यवती से एक पुत्र की इच्छा व्यक्त की। सत्यवती ने कहा कि यदि ऐसा होता है, तो उनकी पवित्रता और समाज में उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुँच जाएगी।

तब महर्षि पराशर ने सत्यवती को आशीर्वाद दिया कि इस घटना के बाद भी वे कुँवारी बनी रहेंगी और उनके शरीर से मछली की गंध दूर होकर एक दिव्य सुगंध आने लगेगी। इसके बाद सत्यवती ने हामी भरी तो, समागम हुआ और सत्यवती ने एक पुत्र को जन्म दिया, जो जन्म के तुरंत बाद ही बड़ा हो गया और तपस्या करने चला गया।
 यही बालक आगे चलकर वेदव्यास कहलाया था।
महर्षि वेदव्यास भारतीय संस्कृति और धर्म में एक महान ऋषि माने जाते हैं, जिनका योगदान वेदों, पुराणों और महाभारत के रूप में अविस्मरणीय है।

गुरुवार, मार्च 13, 2025

महर्षि वेद व्यास जी और गणेश जी


महर्षि वेद व्यास जी को सनातन के गुरु और धर्मशास्त्रों के जनक माने जाते हैं। वो ही महाभारत के रचयिता और महाभारत के पहले पात्र रहे हैं। वेद व्यास जी कई महत्वपूर्ण पुराणों के संकलनकर्ता थे।

आज आपको वेद व्यास जी का परिचय करवा रहे हैं।

वेद व्यास जी का असली नाम कृष्ण द्वैपायन था, 
वे महर्षि पराशर और सत्यवती के पुत्र थे। इनकी जन्म गाथा भी अनोखी है जो आपको हमारे अगले लेख में बताई जाएगी, 

व्यास जी ने संस्कृत भाषा में महाभारत की रचना की, जो विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है।

वेद व्यास जी ने वेदों को चार भागों में विभाजित किया—ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद— इसीलिए उन्हें 'वेद व्यास' कहा जाता है।

वेद व्यास जी के मुख्य ग्रंथ 
महाभारत की रचना, जिसमें श्रीमद्भगवद्गीता भी सम्मिलित है।
पुराणों का संकलन—अठारह प्रमुख पुराणों में से कई की रचना उन्होंने की थी, जैसे कि भागवत पुराण।
ब्रह्मसूत्रों की रचना भी व्यास जी ने की, जो वेदांत दर्शन का मुख्य आधार बना है।
वेद व्यास जी ने कई हिंदू धर्मशास्त्रों को संरचित और सुव्यवस्थित किया हैं।
महाभारत के माध्यम से वेद व्यास जी ने धर्म, नीति, कर्तव्य और मानव स्वभाव का गहन ज्ञान प्रदान किया।
व्यास जी के द्वारा किया गया, वेदों का विभाजन , इसी कारण ही वेदों का अध्ययन आसान हुआ।
आपको बता दूं कि महाभारत को वेद व्यासजी ने श्री गणेश जी भगवान द्वारा सामने बैठ कर लिखवा था, इसलिए महाभारत को पवित्र ग्रंथ भी माना गया हैं क्योंकि खुद गणेश जी भगवान ने लिखा था।


महर्षि वेद व्यास जी को सनातन धर्म में अत्यंत पूजनीय और प्रात स्मरणीय माना जाता है, और 'गुरु पूर्णिमा' भी उनके सम्मान में मनाई जाती है।

महर्षि वेद व्यासजी का पांडवों का गहरा संबंध था वो भी हम आपको बता रहे हैं।
वे न केवल महाभारत के रचयिता थे, बल्कि पांडवों के कुलगुरु और उनके पूर्वज भी थे।

वेद व्यास जी से ही पांडवों और कौरवों का जन्म हुआ था।

महर्षि व्यास जी की माता सत्यवती थीं, सत्यवती ने राजा शांतनु से विवाह किया था। उनके दो पुत्र विचित्रवीर्य और चित्रागंदा थे, लेकिन उनकी निसंतान ही अकाल मृत्यु हो गई ।
 तब सत्यवती ने वेद व्यास जी को बुलाया और उनसे नियोग परंपरा के तहत विचित्रवीर्य की रानियों अंबिका और अंबालिका से संतान उत्पन्न करने का अनुरोध किया।

तब अंबिका से धृतराष्ट्र का जन्म हुआ ,जो जन्म से अंधे थे।

अंबालिका से पांडु का जन्म हुआ ,जो एक दुर्बल शरीर वाले थे।

एक दासी से विदुर का जन्म हुआ , जो बहुत ज्ञानी और न्यायप्रिय थे। 

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इस प्रकार पांडवों और कौरवों के कुल की उत्पति हुई।
महाभारत की अन्य जानकारी के लिए हमारी अगली पोस्ट और अन्य लेख भी देखें।
एक से एक अच्छे लेख आपको मिलते रहेंगे।
धन्यवाद 

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